जनपद ढीमरखेड़ा के मुरवारी में पदस्थ सचिव पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, मुरवारी से बाहर स्थानांतरण की उठी मांग।
मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना और स्वच्छ भारत मिशन में भारी अनियमितताओं का आरोप, ग्रामवासियों ने कलेक्टर से की शिकायत।
ढीमरखेड़ा,ग्रामीण खबर mp:
जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा अंतर्गत ग्राम पंचायत मुरवारी में सचिव पद पर कार्यरत बशरूलहक मंसूरी पर एक बार फिर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप सामने आए हैं। गांव के लोगों और निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का कहना है कि जबसे सचिव मंसूरी की नियुक्ति मुरवारी पंचायत में हुई है, तबसे योजनाओं में अनियमितताएं, वित्तीय गड़बड़ियां और जनहित की उपेक्षा जैसे मामलों की भरमार है।
गौरतलब है कि सचिव मंसूरी का स्थानांतरण वर्षों से केवल दो ही ग्राम पंचायतों – मुरवारी और अंतर्वेद – के बीच होता रहा है। हालांकि यह स्थानांतरण तकनीकी रूप से किया गया प्रतीत होता है, लेकिन वे लगातार जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा के ही अंतर्गत कार्यरत रहे हैं। इस पर ग्रामीणों ने सवाल उठाते हुए कहा है कि यह स्थिति प्रशासनिक लापरवाही और अंदरूनी मिलीभगत की ओर इशारा करती है।
ग्रामीणों द्वारा लगाए गए आरोपों के अनुसार, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत फर्जी हाजिरी बनाकर कार्यों को दिखाया गया, जिससे मजदूरी भुगतान में अनियमितताएं हुईं। प्रधानमंत्री आवास योजना में भी पात्र हितग्राहियों को छोड़कर अपात्रों को लाभ पहुँचाया गया। ग्रामीणों को इस योजना के तहत आवास देने के नाम पर रिश्वतखोरी की बात भी सामने आ रही है।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण, स्वच्छता अभियान और जागरूकता कार्यक्रमों में भी गड़बड़ियां उजागर हुई हैं। कार्यों का मूल्यांकन करने पर यह पाया गया कि अधिकतर गतिविधियाँ केवल दस्तावेजों में दर्शाई गई हैं, जबकि जमीनी स्तर पर वास्तविक कार्य बहुत सीमित या नगण्य हैं।
पंचायत से जुड़े बजट का उपयोग भी ग्रामवासियों के अनुसार संदिग्ध तरीके से किया गया है। सड़क निर्माण, नाली व्यवस्था, स्ट्रीट लाइट जैसे बुनियादी ढांचे के कार्यों में अपेक्षित गुणवत्ता और मात्रा नहीं दिखी, जबकि इन पर खर्च भारी भरकम राशि दिखाई गई है।
सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि मुरवारी सचिव बशरूलहक मंसूरी की लगातार एक ही जनपद क्षेत्र में नियुक्ति इस संदेह को जन्म देती है कि प्रशासन द्वारा जानबूझकर उन्हें इस क्षेत्र में बनाए रखा जा रहा है। पारदर्शिता और निष्पक्षता के अभाव में वर्षों तक एक ही अधिकारी की तैनाती, शासन की मंशा पर सवाल खड़े करती है।
ग्रामसभा की बैठकों के आयोजन पर भी ग्रामीणों ने नाराज़गी जताई है। उनका कहना है कि इन बैठकों की सूचना न तो समय पर दी जाती है और न ही इनमें पारदर्शिता रहती है। कागजों में बैठकें दिखाई जाती हैं जबकि ज़मीनी स्तर पर ग्रामीणों को कोई जानकारी नहीं होती।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने कहा है कि जब जनता के द्वारा चुने गए सदस्यों की बात तक अनसुनी कर दी जाए, तो शासन व्यवस्था में विश्वास डगमगाने लगता है। उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की है कि भ्रष्टाचार के इन आरोपों की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए तथा सचिव बशरूलहक मंसूरी का स्थानांतरण जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा के बाहर किया जाए।
ग्रामीणों का कहना है कि जब तक इन्हें बाहर नहीं किया जाएगा, तब तक निष्पक्ष जांच और योजनाओं की पारदर्शी क्रियान्वयन की कोई उम्मीद नहीं की जा सकती। लोगों का यह भी मानना है कि केवल स्थानांतरण से ही नहीं, बल्कि इन पर लगे आरोपों की गहन जांच और दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई भी आवश्यक है, ताकि भविष्य में अन्य अधिकारियों को भी यह एक सख्त संदेश जाए।
ग्रामीणों ने जिला कलेक्टर श्री दिलीप कुमार यादव से इस मामले को गंभीरता से लेने की अपील की है।