जनसुनवाई के बाद भी समस्याएं जस की तस, सिलौंडी में ग्रामीण शिकायतों का नहीं हुआ निराकरण।
6 फरवरी को हुई जनसुनवाई में उठाई गई जनहित की मांगें अब भी लंबित, ग्रामीणों में बढ़ रहा रोष।
सिलौंडी,ग्रामीण खबर MP:
सिलौंडी क्षेत्र में 6 फरवरी 2025 को कलेक्टर जनसुनवाई का आयोजन नायब तहसीलदार भवन में किया गया था, जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया था। इस जनसुनवाई के दौरान सिलौंडी सहित आसपास के गांवों की वर्षों पुरानी समस्याओं से संबंधित ज्ञापन कलेक्टर महोदय को सौंपे गए थे। लेकिन दुर्भाग्यवश, इस जनसुनवाई को चार महीने से अधिक समय बीत जाने के बावजूद अधिकांश समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। इससे ग्रामीणों के मन में गहरी नाराजगी और प्रशासन के प्रति अविश्वास की भावना पनप रही है।
ग्रामीणों द्वारा प्रस्तुत समस्याएं दैनिक जीवन से जुड़ी हैं और इनके समाधान के लिए प्रशासन से ठोस कदमों की अपेक्षा थी। प्रमुख शिकायतों में सिलौंडी में आधार पंजीयन केंद्र की स्थापना की मांग की गई थी, जिससे ग्रामीणों को आधार से जुड़ी सेवाओं के लिए दूरदराज के क्षेत्रों में नहीं जाना पड़े। यह मांग आज भी अधूरी है और लोगों को आज भी लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है।
सिलौंडी से बसेहरा तक जाने वाला मार्ग आज भी कच्चा है, जो बारिश के मौसम में कीचड़ और जलभराव से चलने लायक नहीं रह जाता। ग्रामीणों ने इस सड़क के गिट्टी या डामरीकरण से निर्माण की मांग की थी, लेकिन अभी तक कोई निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है।
महिला सशक्तिकरण और उनकी सुविधा को ध्यान में रखते हुए सिलौंडी बस स्टैंड में महिला प्रसाधन (शौचालय) बनाने की मांग की गई थी। यह मुद्दा जनसुनवाई में प्रमुखता से उठाया गया था, लेकिन उस पर भी कोई पहल नहीं हुई। इससे महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों पर भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
धार्मिक आस्था से जुड़े मां वीरासन देवी मंदिर की प्रबंधन समिति के कार्यों और हिसाब-किताब की जांच कराने की मांग भी जनसुनवाई में की गई थी। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि मंदिर से प्राप्त चढ़ावे और अन्य आय की पारदर्शिता नहीं है, लेकिन इस विषय पर प्रशासन ने अब तक कोई जांच शुरू नहीं की है।
कृषि आधारित अर्थव्यवस्था वाले इस क्षेत्र में कृषि उपज मंडी की स्थापना की मांग लंबे समय से की जा रही है, जिससे किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य अपने ही क्षेत्र में मिल सके। जनसुनवाई में यह मुद्दा दोबारा उठाया गया था, लेकिन इस दिशा में भी कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो पाई है।
नेगाई क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने का मुद्दा भी ग्रामीणों द्वारा दोहराया गया था, लेकिन अतिक्रमण आज भी बना हुआ है, जिससे आम नागरिकों की आवाजाही और खेती-बाड़ी प्रभावित हो रही है।
स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में भी स्थिति संतोषजनक नहीं है। सिलौंडी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों की नियमित उपस्थिति की मांग की गई थी, ताकि ग्रामीणों को छोटी-छोटी बीमारियों के इलाज के लिए शहर न जाना पड़े। लेकिन अभी भी डॉक्टरों की नियुक्ति या उपस्थिति नियमित नहीं हो सकी है।
इन सभी समस्याओं के निराकरण में देरी से ग्रामीणों का प्रशासन पर से भरोसा उठता जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि जब जनसुनवाई में समस्याएं उठाने के बावजूद समाधान नहीं होता, तो ऐसी बैठकों का उद्देश्य ही सवालों के घेरे में आ जाता है। अब ग्रामीण जनप्रतिनिधियों और प्रशासन से यह मांग कर रहे हैं कि वे जनसुनवाई के नाम पर केवल औपचारिकता न करें, बल्कि उठाई गई समस्याओं पर शीघ्र संज्ञान लेकर ठोस और स्थायी समाधान सुनिश्चित करें।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र कार्यवाही नहीं की गई तो वे सामूहिक रूप से विरोध प्रदर्शन करने और कलेक्ट्रेट का घेराव करने जैसे कदम उठाने पर विवश होंगे।