विदिशा जिले में अडानी फाउंडेशन द्वारा माहवारी स्वच्छता दिवस का आयोजन।
फॉर्च्यून सुपोषण प्रोजेक्ट के तहत महिलाओं और किशोरियों को माहवारी स्वच्छता के प्रति किया गया जागरूक।
विदिशा,ग्रामीण खबर एमपी:
अडानी फाउंडेशन की टीम ने फॉर्च्यून सुपोषण प्रोजेक्ट के अंतर्गत विदिशा जिले के ग्रामीण क्षेत्र में माहवारी स्वच्छता दिवस का आयोजन कर एक महत्वपूर्ण सामाजिक विषय पर पहल की। इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास विभाग की परियोजना अधिकारी जयंती बाला मैडम की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा को और बढ़ा दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत एक रैली के माध्यम से हुई, जिसमें स्थानीय महिलाओं और किशोरियों ने सक्रिय भागीदारी की। रैली के माध्यम से माहवारी स्वच्छता, स्वास्थ्य, और जागरूकता जैसे महत्वपूर्ण संदेशों को गांव-गांव तक पहुंचाया गया। रैली में उत्साह और सहभागिता का स्तर दर्शाता है कि ग्रामीण समुदाय अब स्वास्थ्य और स्वच्छता जैसे विषयों को लेकर सजग हो रहा है।
इसके उपरांत सामुदायिक स्तर पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें स्थानीय महिलाओं, किशोरियों और समुदाय के वरिष्ठ नागरिकों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में माहवारी से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया गया, जैसे स्वच्छता बनाए रखने के उपाय, सामाजिक मिथकों का खंडन, और स्वास्थ्य संबंधी सावधानियाँ।
फोकस समूह चर्चा (FGD) के माध्यम से अलग-अलग समूहों में गहन संवाद किया गया, जिसमें महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किए और किशोरियों को मार्गदर्शन दिया। यह संवाद महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक अहम कदम साबित हुआ, क्योंकि इससे यह स्पष्ट हुआ कि अब महिलाएं खुलकर माहवारी जैसे विषयों पर चर्चा करने को तैयार हैं।
कार्यक्रम की एक विशेष गतिविधि किशोरियों के साथ खाना पकाने का प्रदर्शन था। इसके माध्यम से उन्हें पोषण और स्वच्छता के बीच संबंध को व्यावहारिक रूप से समझाया गया। इस प्रदर्शन ने यह भी दर्शाया कि सही खानपान माहवारी स्वास्थ्य को किस प्रकार प्रभावित करता है, और इस दिशा में सजग रहना क्यों आवश्यक है।
परिवार परामर्श सत्र के माध्यम से माता-पिता और अभिभावकों को यह बताया गया कि माहवारी कोई वर्जना नहीं, बल्कि एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसे समझने और स्वीकारने की आवश्यकता है। इस सत्र में यह भी बताया गया कि किशोरियों को भावनात्मक और मानसिक समर्थन देना उनके संपूर्ण विकास में किस प्रकार सहायक हो सकता है।
RPA महिलाओं ने समुदाय के बीच जाकर मिथकों पर चर्चा की और वैज्ञानिक तथ्यों के माध्यम से उनकी गलतफहमियों को दूर करने का प्रयास किया। इन महिलाओं ने विशेष रूप से ग्रामीण परिवेश में प्रचलित उन धारणाओं को चुनौती दी जो माहवारी से जुड़े सामाजिक भेदभाव को जन्म देती हैं।
इस समग्र आयोजन में सुपोषण अधिकारी अभिलाषा तिवारी, पूर्णिमा दुबे, गुण मालवीय, नम्रता श्रीवास्तव और उनकी पूरी टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके कुशल संचालन और समर्पण से यह कार्यक्रम एक सफल जागरूकता अभियान में परिवर्तित हो सका।
कार्यक्रम का मूल उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं और किशोरियों को माहवारी स्वच्छता, उसके महत्व और इससे जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति जागरूक करना था। अडानी फाउंडेशन की टीम ने न केवल इस विषय पर जानकारी साझा की, बल्कि ग्रामीण समुदाय के साथ गहरे स्तर पर संवाद स्थापित कर यह संदेश दिया कि जागरूकता और सहयोग से हर सामाजिक चुनौती को सकारात्मक दिशा दी जा सकती है।
इस प्रकार यह आयोजन न केवल स्वास्थ्य जागरूकता की दिशा में एक प्रभावशाली प्रयास रहा, बल्कि इससे यह भी सिद्ध हुआ कि यदि सही मार्गदर्शन और सहयोग मिले, तो ग्रामीण भारत भी स्वच्छता और स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम कर सकता है।