विदिशा जिला जल आभाव घोषित,विशेष परिस्थितियों में हैण्डपंप खनन हेतु एसडीएम से अनुमति प्राप्त करनी होगी।
विदिशा:
कलेक्टर अंशुल गुप्ता ने मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम के तहत विदिशा जिले को जल आभाव घोषित करने का आदेश जारी कर दिया है। यह आदेश तीस जून तक अच्छी वर्षा होने तक प्रभावशील रहेगा। विशेष परिस्थितियों में नवीन बोरिंग खनन, बोरिंग सफाई की विशेष अनुमति संबंधित तहसील क्षेत्र के अनुविभागीय दंडाधिकारी से अनुमति प्राप्ति के उपरांत कार्यों का संपादन कर सकेंगे।
कलेक्टर अंशुल गुप्ता के द्वारा जारी आदेश में उल्लेख है कि ग्रीष्मकाल में आमजनों के लिए पीने के पानी एवं निस्तार की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित कराने हेतु जिले की समस्त तहसीलों के कुंओं एवं नलकूपों का जल स्तर नीचे चले जाने के फलस्वरूप पेयजल एवं निस्तार हेतु जल आरक्षित रखने के कारण नवीन नलकूप खननों पर प्रतिबंध लगाया गया है।
कलेक्टर श्री गुप्ता के द्वारा जारी आदेशानुसार सम्पूर्ण विदिशा जिले को जल आभाव ग्रस्त घोषित किए जाने के फलस्वरूप कलेक्ट्रेट कार्यालय की अनुमति के बिना व्यक्ति किसी जल स्रोत यथा नदी, बंधान, जलधारा, जलाशय बंधान आदि से सिंचाई या अन्य औद्योगिक प्रयोजन हेतु उपयोग नहीं कर सकेंगे। जिले को जल आभाव घोषित किए जाने का आशय यह भी होगा कि कलेक्टर या इस संबंध में प्राधिकृत अन्य अधिकारी की अनुमति के बिना कोई भी निजी नलकूप खनन नहीं किया जाएगा।
जिले के सतही जल स्त्रोत नदी, नाले के डाऊन स्टीम में सतह के नीचे भूमिगत बहाव रोकनेए कलेक्टिंग पाईप, रेडियल कलेक्टर बेल का उपयोग कर जल का उपयोग नहीं किया जाएगा। जिले के पेयजल स्त्रोतों में कुल आवश्यक जल क्षमता के विरूद्ध उपलब्ध जल क्षमता कम है। अतः जिले के पेयजल स्रोतों से सिंचाई के प्रयोजन के लिए जल के उपयोग पैर प्रतिबन्ध लागू होगा। जिले में नदी, नालों पर संचालित उद्वहन योजनाओं में पानी की उपलब्धता के आधार पर संबंधित ग्राम पंचायत व जल उपभोक्ता संस्था की अनुशंसा और जल संसाधन विभाग के प्रतिवेदन के आधार पर इस कार्यालय द्वारा सिंचाई की अनुमति दी जावेगी। जिन नदी, नालो में पानी नही बह रहा है, वहां नदी, नालों में रूके हुए पानी के लिए कोई अनुमति नहीं दी जावेगी। केंद्रीय शासन एवं उनके उपक्रमों और राज्य शासन के विभागों व उनके उपक्रमों को नलकूप खनन की छूट इस शर्त पर दी जाती है, कि जिस स्थान पर नलकूप खनन किया जा रहा हैए वह मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 6 के अनुसार व्यतिकरण परिक्षेत्र में नही आता हो। अर्थात उस स्थल के 100 मीटर के भीतर कोई ऐसा नलकूप न हो जिस पर सार्वजनिक जल प्रदाय व्यवस्था आधारित हो। उक्त शर्त के पालन की जिम्मेदारी संबंधित विभाग की होगी। उपरोक्त अपवादों के अतिरिक्तए विदिशा जिले को जल अभाव ग्रस्त घोषित किया जाता है।
उक्तानुसार निर्धारित क्षेत्रों में नदी, बांधों, नहरों, जलाशयोंध्बंधानों से घरेलू प्रयोजन के अतिरिक्त किसी अन्य प्रयोजन के लिए पानी का उपयोग नही किया जा सकेगा। यदि कोई व्यक्ति आदेश का उल्लंघन कर नलकूप खनन करता है तो वह अधिनियम की धारा 9 के अन्तर्गत प्रथम अपराध के लिये पांच हजार रूपये के जुर्माने से और पश्चात्वर्ती प्रत्येक अपराध के लिये दस हजार रूपये के जुर्माने से या कारावास
से, जो दो वर्ष तक को हो सकेगाए दण्डनीय होगा। यदि कोई भी व्यक्ति प्रतिबंधित क्षेत्र में सिंचाई अथवा औद्योगिक प्रयोजन के लिए पानी के उपयोग की अनुमति चाहता है तब वह अधिनियम की धारा 4 व संबंधित नियमों के अन्तर्गत आवेदन संबंधि अनुविभागीय दण्डाधिकारी को प्रस्तुत करें। इसी प्रकार कोई व्यक्ति नलकूप खनन की अनुमति चाहता है तो अधिनियम की धारा 6 के अन्तर्गत आवेदन उक्त प्राधिकृत अधिकारी के कार्यालय में प्रस्तुत कर सकता है।
अनुमति -
कलेक्टर अंशुल गुप्ता के द्वारा जारी आदेश में उल्लेखित किया गया है कि विशेष परिस्थितियों में प्राधिकृत अधिकारी से अनुमति प्राप्ति के उपरांत नवीन बोरिंग हैण्डपंप खनन अथवा साफ-सफाई के कार्य किए जा सकेंगे। इसके लिए संबंधित तहसील के एसडीएम को प्राधिकारी अधिकारी नियुक्त किया गया है। जो कार्यक्षेत्रों के अंतर्गत अनुमतियां प्रदान करेंगे।