सिहोरा नगर बना संत सुधासागर मय,भव्य शोभायात्रा और मंगलमय कार्यक्रमों के साथ हुआ मुनिश्री का ससंघ स्वागत।
जैन समाज सिहोरा द्वारा बैंड-बाजे, कलश यात्रा और धर्मध्वजाओं के साथ मुनिश्री की अनुपम अगवानी, नगर में धर्मोत्सव जैसा माहौल।
सिहोरा:
सिहोरा नगर में उस समय दिव्यता और भक्ति का अपूर्व संगम देखने को मिला जब निर्यापक श्रमण, मुनिपुंगव मुनिश्री 108 सुधासागर जी महाराज का ससंघ नगर में भव्य आगमन हुआ। जैन समाज सिहोरा के द्वारा श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के साथ मुनिश्री की अगवानी की गई। बैंड, डीजे, मंगल कलश और धर्मध्वजाओं से सजे नगर में संत आगमन का उत्सव मनाया गया। नगरवासी अपने परिवारों के साथ इस ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बनने के लिए उमड़ पड़े।
नगर का वातावरण जैसे आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया हो। हर दिशा से “जय हो मुनिश्री” के जयघोष गूंजते रहे। पंचायती जैन मंदिर में मुनिश्री का ससम्मान विराजमान होना नगर के लिए अत्यंत गौरवपूर्ण क्षण रहा। अपने प्रेरणादायक प्रवचनों में मुनिश्री ने श्रद्धालुओं से जीवन में धर्म के मंगल मार्ग पर चलने का आह्वान करते हुए कहा कि सिहोरा ऐसा पुण्य भूमि वाला नगर है जहाँ निरंतर संतों का आवागमन होता है। उन्होंने संतों के आगमन को नगर के लिए सौभाग्य की संज्ञा दी।
मुनिश्री ने कहा कि सिहोरा का विशेष सौभाग्य है कि यहाँ के ही जन्मे, हमारे संघ में मुनि प्रसाद सागर जी महाराज हैं, जो देशभर में धर्म की प्रभावना कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि जिस स्थान को संतों का सानिध्य मिल जाता है, वहाँ की जनता आत्मिक समृद्धि और पुण्य का अनुभव करती है।
मुनिश्री की आहारचर्या मुनि प्रसाद सागर जी महाराज के गृहस्थ जीवन के भाई सन्मति जैन के निवास पर सम्पन्न हुई। इस पावन अवसर पर श्रेयांश जैन, संभव जैन, राखी जैन सहित अनेक श्रद्धालुओं ने नवधाभक्ति पूर्वक आहार समर्पण कर पुण्य संचय किया।
संपूर्ण आयोजन का कुशल संचालन ऋषभ जैन द्वारा किया गया। उन्होंने जानकारी दी कि मुनिश्री के पावन सान्निध्य में पंचायती जैन मंदिर में यागमंडल विधान और लघु पंचकल्याणक जैसे विशेष धार्मिक आयोजनों की श्रृंखला शुरू हो चुकी है। उन्होंने यह भी बताया कि मुनिश्री द्वारा आयोजित “जिज्ञासा समाधान” कार्यक्रम शाम 6 बजे मंदिर परिसर से प्रसारित होगा, जिसे जिनवाणी चैनल पर लाइव देखा जा सकेगा।
इस पुण्य अवसर पर आसपास के नगरों एवं कस्बों जैसे बचैया, गोसलपुर, मझौली, खितौला, जबलपुर, पनागर, दर्शनी, लमकना आदि से बड़ी संख्या में जैन समाज के श्रद्धालुगण सिहोरा पधारे और आयोजन में सहभागिता कर पुण्य लाभ अर्जित किया। नगरवासियों और श्रावक-श्राविकाओं के सामूहिक प्रयासों से यह आयोजन नगर के धार्मिक इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हो गया।