भगवान श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता की भावपूर्ण कथा,भगवान ने अपने अश्रुओं से धोये मित्र के चरण।

 भगवान श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता की भावपूर्ण कथा,भगवान ने अपने अश्रुओं से धोये मित्र के चरण।

भागवत कथा में कथावाचक ने सुनाई श्री कृष्ण-सुदामा की अमर मित्रता की गाथा।

घाना,सिलौड़ी:

सिलौंडी के समीपवर्ती ग्राम घाना में इन दिनों भागवत कथा का आयोजन श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जा रहा है। इस कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु सम्मिलित हो रहे हैं और भक्ति रस का आनंद ले रहे हैं। कथा के दौरान श्रद्धालुओं को भगवान श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता की अद्भुत और प्रेरणादायक कथा सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।  

कथावाचक ने भावनात्मक रूप से इस प्रसंग का वर्णन किया, जिसमें उन्होंने बताया कि किस प्रकार भगवान श्री कृष्ण, द्वारका के महाराजा होने के बावजूद, अपने प्रिय मित्र सुदामा के आगमन की सूचना पाते ही उनके स्वागत के लिए दौड़ पड़े। राजा होते हुए भी श्री कृष्ण ने अपने मित्र के प्रति प्रेम और सम्मान का ऐसा भाव दिखाया, जो इतिहास में मित्रता की अनोखी मिसाल बन गया।  

जब सुदामा भगवान श्री कृष्ण से मिलने पहुंचे, तो उनके वस्त्र पुराने थे, शरीर दुर्बल था और वे अत्यंत गरीबी की स्थिति में थे। लेकिन श्री कृष्ण के लिए यह सब मायने नहीं रखता था। उन्होंने अपने मित्र को राजमहल में सम्मानपूर्वक गले लगाया, उन्हें अपने सिंहासन पर बैठाया और उनके चरणों को अपने अश्रुपूरित नेत्रों से धोया। यह दृश्य अत्यंत भावुक कर देने वाला था और कथा स्थल पर मौजूद श्रद्धालु भी इस प्रसंग को सुनकर भावविभोर हो उठे।  

कथावाचक ने इस प्रसंग से यह संदेश दिया कि सच्ची मित्रता धन-संपत्ति पर नहीं, बल्कि प्रेम और निष्ठा पर आधारित होती है। भगवान श्री कृष्ण ने यह प्रमाणित किया कि मित्रता का संबंध किसी स्वार्थ से नहीं, बल्कि निःस्वार्थ प्रेम से जुड़ा होता है। सुदामा के बिना कुछ मांगे ही भगवान श्री कृष्ण ने उनके जीवन की सभी कठिनाइयों को हर लिया और उनके परिवार को संपन्न बना दिया।  

भागवत कथा के इस पावन अवसर पर भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं समाजसेवी अनिल पांडे ने कथावाचक का सम्मान किया और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। अनिल पांडे धार्मिक और सामाजिक आयोजनों में अपनी सक्रिय सहभागिता के लिए पहचाने जाते हैं। उन्होंने श्रद्धालुओं से धार्मिक आयोजनों में बढ़-चढ़कर भाग लेने की अपील की और भागवत कथा के महत्व को समझाने का प्रयास किया।  

इस अवसर पर क्षेत्र के गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति भी रही। सरपंच रोशन कोल, सचिव शंकर लाल साहू, राम प्रसाद शुक्ला, लखन शुक्ला, अरविंद तिवारी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा में सम्मिलित हुए। कथा स्थल पर भजन-कीर्तन का आयोजन भी किया गया, जिसमें भक्तगण भक्ति में लीन होकर श्री कृष्ण के नाम का संकीर्तन करते रहे।  

कथा के अंत में श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद वितरण का भी आयोजन किया गया। पूरे कार्यक्रम में भक्ति, श्रद्धा और प्रेम का भाव स्पष्ट रूप से देखने को मिला। श्रद्धालु इस कथा से अत्यंत प्रभावित हुए और उन्होंने इसे एक अविस्मरणीय आध्यात्मिक अनुभव बताया।  

श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता की यह कथा हमें सिखाती है कि सच्चे मित्र का स्थान जीवन में सबसे ऊंचा होता है और निःस्वार्थ प्रेम ही सच्ची मित्रता का आधार होता है। इस कथा ने श्रद्धालुओं के हृदय में भक्ति और प्रेम का संचार किया, जिससे वे भावनात्मक रूप से जुड़ गए और कथा का आनंद लिया।


प्रधान संपादक:अज्जू सोनी
संपर्क सूत्र:9977110734

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